संत पीपाजी - THE INDIAN HISTORY AND CULTURE

संत पीपाजी

Share This

संत पीपाजी

  1. संत पीपा गागरोन के खींची राजपूत के शासक थे । इनका राज्यकाल 1326 से 1377 ई. में मना जाता है।
  2. यह भी रामानंदजी के प्रमुख शिष्य में से एक माने जाते थे।रामानंद ने पीपा को माया छोडकर गृहस्थ जीवन में ही ईश्वर स्तुति, साधु संतों की सेवा का आदेश दिया। 
  3. संत पीपा गागरोन से लौटकर गुरु के बताऐ मार्ग पर चलने लगे
  4. द्वारिका जाते समय हुए रामानंद , कबीर , रैदास के साथ पीपा भी अपनी छोटी रानी सीता सहित रामानंद के साथ द्वारिका चले गऐ । कुछ समय द्वारिका और गुरु संग बिताने के बाद पुनः गागरोन आए और काली सिंध नदी के संगम पर गुफा मे रहने लगे
  5. इनकी मृत्यू के बाद यही काली सिंध नदी के तट पर उनकी कि छतरी बनाई गई है यहाँ इनके चरण चिन्ह हे जिनकी पूजा की जाति हे।
  6.  लोगों का मानना है कि दिक्षा के उपरांत पीपा ने दर्जी वृति अपनाई थी, इसी लिए दरजी समुदाय के लोग इन्हें अपना आराध्य मानते हैं।
  7. पीपा ने प्राणी मात्र की समानता का समर्थन किया।यह मानते थे कि भगवान की दृष्टि में सब प्राणी एक है। वहां नारी , पुरुष, दाता, भिखारी , राजा , रंक , छोटे,बड़े का कोई भैद नहीं है।
 ना को पुरिस नहीं को नारी, ना को दाता ना कोई भिखारी।
ना को रंग नहीं को राना, लघु दीरघ झूठ करि जाना।"

No comments:

Post a Comment

Pages