संत पीपाजी
- संत पीपा गागरोन के खींची राजपूत के शासक थे । इनका राज्यकाल 1326 से 1377 ई. में मना जाता है।
- यह भी रामानंदजी के प्रमुख शिष्य में से एक माने जाते थे।रामानंद ने पीपा को माया छोडकर गृहस्थ जीवन में ही ईश्वर स्तुति, साधु संतों की सेवा का आदेश दिया।
- संत पीपा गागरोन से लौटकर गुरु के बताऐ मार्ग पर चलने लगे
- द्वारिका जाते समय हुए रामानंद , कबीर , रैदास के साथ पीपा भी अपनी छोटी रानी सीता सहित रामानंद के साथ द्वारिका चले गऐ । कुछ समय द्वारिका और गुरु संग बिताने के बाद पुनः गागरोन आए और काली सिंध नदी के संगम पर गुफा मे रहने लगे
- इनकी मृत्यू के बाद यही काली सिंध नदी के तट पर उनकी कि छतरी बनाई गई है यहाँ इनके चरण चिन्ह हे जिनकी पूजा की जाति हे।
- लोगों का मानना है कि दिक्षा के उपरांत पीपा ने दर्जी वृति अपनाई थी, इसी लिए दरजी समुदाय के लोग इन्हें अपना आराध्य मानते हैं।
- पीपा ने प्राणी मात्र की समानता का समर्थन किया।यह मानते थे कि भगवान की दृष्टि में सब प्राणी एक है। वहां नारी , पुरुष, दाता, भिखारी , राजा , रंक , छोटे,बड़े का कोई भैद नहीं है।
ना को पुरिस नहीं को नारी, ना को दाता ना कोई भिखारी।
ना को रंग नहीं को राना, लघु दीरघ झूठ करि जाना।"
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